SAVDHAN....
SANGH DAKSH...
PRARTHNA....
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
(हे परम वत्सला मातृभूमि! तुझको प्रणाम शत कोटि बार।)
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।
(तूने सब सुख दे मुझको बड़ा किया;)
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।
(हे महा मंगला पुण्यभूमि ! तुझ पर न्योछावर तन हजार।।)
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
(हे सर्व शक्तिमय परमेश्वर! हम हिंदुराष्ट्र के सभी घटक,)
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
(तुझको सादर श्रद्धा समेत, कर रहे कोटिशः नमस्कार।।)
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं
(तेरा ही है यह कार्य हम सभी, जिस निमित्त कटिबद्ध हुए;)
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।
(वह पूर्ण हो सके ऐसा दे, हम सबको शुभ आशीर्वाद।)
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं
(ऐसी अजेय दे शक्ति कि जिससे, हम समर्थ हों सब प्रकार।।)
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
(दे ऐसा उत्तम शील कि जिसके, सम्मुख हो यह जग विनम्र;)
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं
(दे ज्ञान जो कि कर सके सुगम)
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्
(स्वीकृत कन्टक पथ दुर्निवार।)
समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् ।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३
भारत माता की जय ।।